नमस्कार! “सभ्य कहानियां” चैनल में आपका स्वागत है। हमारी आज की कहानी है राजा भोज, और 14 विद्याओं का घमंड। एक बार की बात है। गंगाराम पटेल, तीर्थ यात्रा पर जाने की, तैयारी कर रहे थे। उनका एक नौकर था, जिसका नाम था बुलाखिया, वह अपने नौकर बुलाखिया को भी, तीर्थ यात्रा पर, अपने साथ लेकर जाना चाहते थे। गंगाराम पटेल, एक बहुत ही ज्ञानी, और समझदार इंसान थे। जाने से पहले , बुलाखिया ने उनसे कहा कि, पटेल जी, मैं आपके साथ तीर्थ यात्रा पर अवश्य चलूंगा, किंतु वहां जाने से पहले , आपको मेरी एक शर्त स्वीकार करनी होगी। गंगाराम पटेल ने उससे पूछा, बुलाखिया बताओ, क्या शर्त है तुम्हारी? बुलाखिया ने कहा।
तीर्थ यात्रा के दौरान, यदि रास्ते में, मैं आपसे कोई सवाल पूछता हूं तो, आपको , उसका उत्तर मुझे देना होगा। अन्यथा , मैं वापस आ जाऊंगा। पटेल ने कहा, बुलाखिया, मुझे तुम्हारी यह शत स्वीकार है। फिर दोनों , एक ही घोड़े पर सवार होकर , अपनी तीर्थ यात्रा के लिए चल दिए। चलते-चलते , दिन ढलने लगा था। रात की काली छाया, चारों तरफ फैल चुकी थी। तब वे एक नगरी के पास पहुंचे। नगरी को देखकर, पटेल ने कहा, बुलाखिया आज की रात हम यही ठहरेंगे। दोनों ने अपनी आपसी सहमति से, वहां ठहरने का निर्णय किया। और अपना टेंट लगा लिया। टेंट लगाने के बाद , पटेल ने बुलाखिया से कहा, अब तुम नगरी में जाओ, और कुछ खाने पीने का सामान ले आओ।
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